जेएनएन एजेंसी। हाथरस कांड में रविवार को सीबीआइ गाजियाबाद की एंटी करेप्शन ब्रांच ने हत्या और सामूहिक दुष्कर्म समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी है। सीबीआइ ने हाथरस के चंदपा थाने में घटना को लेकर युवती के भाई की ओर से 14 सितंबर को दर्ज कराई गई एफआइआर को अपने केस का आधार बनाया है। सीबीआइ की एक टीम हाथरस पहुंची है, जहां उसने पुलिस से अब तक की जांच में सामने आने तथ्यों की जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है। अब सीबीआइ जांच में हाथरस कांड का पूरा सच सामने आएगा।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने दो अक्टूबर को हाथरस कांड की सीबीआइ जांच कराने का निर्णय किया था और अगले ही दिन गृह विभाग ने सीबीआइ जांच संबंधी पत्र गृह मंत्रालय को भेजा था। केंद्रीय कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग ने शनिवार को सीबीआइ जांच की अधिसूचना जारी की थी, जिसके बाद सीबीआइ की गाजियाबाद यूनिट ने रविवार को हाथरस कांड में रेगुलर केस दर्ज कर जांच शुरू की है। सीबीआइ ने हत्या व सामूहिक दुष्कर्म के अलावा जानलेवा हमले व एससी-एसटी एक्ट के तहत अपनी एफआइआर दर्ज की है।
सीबीआइ ने केस की विवेचना महिला डिप्टी एसपी को सौंपी है। सीबीआइ ने हाथरस पुलिस से घटना को लेकर दर्ज कराई गई एफआइआर से लेकर कई अन्य दस्तावेज हासिल किए हैं। सीबीआइ जल्द स्थानीय पुलिस अधिकारियों व कर्मियों से घटना को लेकर पूछताछ का सिलसिला शुरू करेगी। युवती के परिवार व अन्य प्रत्यक्षदर्शियों के बयान भी दर्ज करेगी।
एसआइटी करती रहेगी अपनी जांच : हाथरस कांड को लेकर सचिव गृह भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में गठित एसआइटी जल्द अपनी जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट सौंपेगी। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी का कहना है कि एसआइटी को हाथरस में हुई घटना के पूर्व तथा एफआइआर दर्ज होने के बाद पुलिस की भूमिका की जांच सौंपी गई है। एसआइटी ने युवती के परिवार, स्थानीय पुलिस अधिकारियों-कर्मियों व अन्य लोगों के बयान दर्ज किए हैं। एसआइटी जल्द अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी।
सीएम योगी एसआइटी का किया था गठन : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर 30 सितंबर को तीन सदस्यीय एसआइटी का गठन किया गया था, जिसमें डीआइजी चंद्र प्रकाश व एसपी पूनम बतौर सदस्य शामिल हैं। एसआइटी को जांच के लिए सात दिनों का समय दिया गया था। शासन ने बाद में एसआइटी को जांच पूरी करने के लिए 10 दिनों का अतिरिक्त समय दे दिया था।
एसआइटी ने जांच की और सीबीआइ करेगी विवेचना : पूर्व डीजीपी बृजलाल का कहना है कि एसआइटी ने जांच की है, जबकि सीबीआइ घटना की विवेचना करेगी। जांच और विवेचना दोनों अलग-अलग हैं। उनका कहना है कि एसआइटी की जांच में पाई गईं कमियों व गलतियों पर संबंधित पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के विरुद्ध शासन कार्रवाई कर सकता है, लेकिन उसकी जांच घटना की विवेचना का हिस्सा नहीं हो सकती। सीबीआइ चाहेगी तो एसआइटी से उसकी जांच रिपोर्ट ले सकती है। ध्यान रहे, एसआइटी की पहली रिपोर्ट के आधार पर ही हाथरस के एसपी विक्रांत वीर व तत्कालीन सीओ राम शब्द समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था।
राज्य सरकार हाई कोर्ट में सोमवार को देगी जवाब : हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने हाथरस कांड को लेकर 12 अक्टूबर को अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी व डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी समेत अन्य अधिकारियों को तलब कर रखा है। हाई कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लेकर अधिकारियों को तलब किया है। शासन ने हाथरस कांड में अब तक हुई जांच व कार्रवाई को लेकर अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। अपर मुख्य सचिव गृह व डीजीपी मंगलवार को हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे।
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