साहिबगंज : डॉल्फिन के संरक्षण के लिए सोमवार को अधिकारियों की एक टीम ने गंगा क्षेत्र का निरीक्षण किया। इस दौरान सबसे डॉल्फिन पाए जाने वाले क्षेत्रों को चिह्नित किया गया।
आइएफएस (इंडियन फॉरेन सर्विस) सात्विक ने कहा कि गंगा में पाई जाने वाली डॉल्फिन स्वच्छ जल में रहना पसंद करती है। इस क्षेत्र के मछुआरों का जीवन गंगा पर निर्भर है, लेकिन कुछ लोग डॉल्फिन का शिकार करते हैं। इससे डॉल्फिन की संख्या घट रही है। उनके अस्तित्व पर संकट आ गया है। निरीक्षण के दौरान यह भी देखा गया कि कुछ एरिया में प्लास्टिक बह रहा है। यह डॉल्फिन के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है।
वायलेंट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के शुभाशीष डे ने कहा कि झारखंड क्षेत्र में डॉल्फिन की गणना के लिए तीन क्षेत्र विभाजित किए गए हैं। साहिबगंज से सकरीगली के पास एक भाग, दूसरा राजमहल के पास और तीसरा बेगमगंज की ओर हो सकता है। निरीक्षण के क्रम में कुछ डॉल्फिन देखी भी गई। सरकार ने डॉल्फिन की संरक्षण के लिए इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित कर दिया है। मछुआरों के जाल में डॉल्फिन फंस जाती है। कहा कि जाल ऐसी जगह लगाएं जहां डॉल्फिन को विचरण में दिक्कत नहीं हो। इस मौके पर आरएफओ (रिजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) राजकुमार, राजमहल एसडीओ (अनुमंडल पदाधिकारी) हरिवंश पंडित आदि थे।
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