पाकुड़ : पाकुड़ में 832 आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल केंद्र में बदलने की सरकारी योजना अधर में है। जनवरी 2020 तक दो चरण में जिले के 832 आंगनबाड़ी केंद्र को मॉडल बनाने की योजना थी। पहले चरण में 300 और दूसरे चरण में 532 केंद्र को मॉडल बनाना था। पहले चरण में 60 केंद्र के लिए काम शुरू हुआ। वह भी पूरा नहीं हो सका। सरकार एक आंगनबाड़ी केंद्र पर एक लाख 52700 रुपये खर्च कर रही है। यह काम रांची की नव ट्रेड कंपनी को मिला है। तय समय पर काम पूरा नहीं करने के कारण कंपनी को तीन बार नोटिस दिया जा चुका है। अवधि बढ़ाई गई, मगर स्थिति जस की तस है। मॉडल केंद्रों में बढ़ेगी सुविधा
मॉडल केंद्र बनाने का उद्देश्य निजी किड्स प्ले स्कूल की तरह आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को सुविधा उपलब्ध कराना है। मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र को बच्चों के आकर्षण का केंद्र बनाने के लिए उसे सजाने संवारने का काम किया जाएगा। केंद्र की दीवार पर पाठ्य तालिका व चाट बनाया जाएगा जिससे बच्चे इसे आसानी से सीख सकें। केंद्र में 25 बच्चों के बैठने के लिए बेंच डेस्क की व्यवस्था की जाएगी। बच्चों के लिए पोशाक, स्कूल बैग, खिलौना व झूला की व्यवस्था की जाएगी। जिससे प्रतिदिन बच्चे केंद्र आने के लिए आकर्षित हो। यहां उन्हें पोषाहार के साथ खेल खेल में शिक्षा दी जाएगी। ताकि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले गरीबों के बच्चे भी अपने गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में शहर के प्ले स्कूल पढ़ाई करने वाले बच्चों की तरह खेल खेल में शिक्षा ग्रहण कर सके।
क्या कहती है डीपीओ : जिला समाज कल्याण पदाधिकारी चित्रा यादव का कहना है कि मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र बनाने का काम ठीकेदार की लापरवाही के कारण पूरा नहीं किया जा सका है। विभाग की ओर से ठीकेदार को दो नोटिस दी गई है परंतु उसके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है। एक अंतिम नोटिस डीडीसी की ओर से दी गई है इसके बाद ठीकेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
"जिले के आंगनबाड़ी केंद्र को मॉडल बनाया जाना है। यह काम रांची की एजेंसी को दिया गया है परंतु एजेंसी की लापरवाही के कारण काम अधर में है। एजेंसी को अंतिम चेतावनी दी गई है। अब एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।"
-अनमोल कुमार सिंह
डीडीसी, पाकुड़।
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