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नवजात में खतरे के लक्षणों की करें पहचान


पाकुड़ : बीमार शिशु तेजी के साथ बहुत अधिक बीमार पड़ सकता है, इसलिए खतरे के लक्षणों की पहचान जल्द से जल्द करना चाहिए। नवजात में खतरे का एक भी लक्षण दिखाई देने पर उसे नजदीकी अस्पताल में भेजा जाना चाहिए, जहां सूई और ड्रिप से एंटीबायोटिक देने की सुविधा हो। तभी नवजात शिशु की जान समय से बचाई जा सकती है। यह बात सीडीपीओ कार्यालय सभागार में सोमवार को राष्ट्रीय पोषण मिशन के इंक्रीमेंट लर्निंग एप्रोच (आइएलए) प्रशिक्षण के दौरान जिला समाज कल्याण पदाधिकारी चित्रा यादव ने कही।


प्रशिक्षण में आंगनबाड़ी सेविकाओं को मुख्य विषय मॉड्यूल नंबर 17 जिसमें नवजात शिशु में खतरे के चिह्नों को पहचानने जैसे स्तनपान में कमी, सक्रियता में कमी, बच्चों को छूने पर ठंडा महसूस होने की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में महिला पर्यवेक्षिका दरखशां खातून, सुभाषिनी हेंब्रम ने सेविकाओं को आइएलए मॉड्यूल 17,18 व 19 के संबंध में विस्तार से बताया।


शारीरिक दूरी का पालन भूल गई सेविकाएं

महिला एवं बाल विकास परियोजना कार्यालय सभागार में प्रशिक्षण शिविर में कोविड-19 को लेकर सरकार की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया। आंगनबाड़ी सेविकाएं शारीरिक दूरी का पालन करना भूल गईं। जबकि अक्सर प्रशिक्षण में सेविकाओं को शारीरिक दूरी का पालन, मास्क व सैनिटाइज के प्रयोग की नसीहत दी जाती है।


अमड़ापाड़ा में सेविकाओं को मिला प्रशिक्षण

 प्रखंड के बाल विकास परियोजना कार्यालय में सेविकाओं को क्रमिक क्षमता पद्धति का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण एलएस शोभा भगत, बॉबी कुमारी व पीरामल फाउंडेशन के बीटीओ अनिल कुमार गुप्ता ने दिया। प्रशिक्षण में उपस्थित सभी सेविकाओं को प्रोजेक्टर के माध्यम से मॉड्यूल 17 एवं 18 के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। मॉड्यूल 17 में सेविकाओं को बीमार नवजात शिशु की पहचान एवं रेफरल सेवा की जानकारी दी गई।

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